चीन में आयोजित शंघाई योगदान संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी ने न सिर्फ़ बहुपक्षीय मंच पर हिंदुस्तान की उपस्थिति को सशक्त रूप में दर्ज कराया, बल्कि कई विश्व नेताओं से द्विपक्षीय मुलाक़ात कर यह साफ कर दिया कि हिंदुस्तान आज वैश्विक राजनीति का अपरिहार्य केंद्र बन चुका है. इसके विपरीत, पाक के पीएम शहबाज शरीफ की उपेक्षा ने दक्षिण एशियाई राजनीति में एक साफ संकेत छोड़ा. सबसे अहम तथ्य यह रहा कि मोदी और शरीफ के बीच न तो कोई मुलाक़ात हुई, न ही औपचारिक अभिवादन. यह सिर्फ़ हिंदुस्तान की ओर से ही नहीं, बल्कि चीन की मेज़बानी में भी साफ दिखा कि पाक को अहमियत नहीं मिल रही थी. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मोदी और पुतिन के साथ तो गर्मजोशी से हाथ मिलाया, फोटोज़ खिंचवाईं और लंबी वार्ता की, लेकिन शरीफ को वह महत्व नहीं दिया जिसकी पाक अपेक्षा करता रहा है.
यह घटनाक्रम कई स्तरों पर संदेश देता है. पहला, बीजिंग के लिए हिंदुस्तान का महत्व आर्थिक और रणनीतिक दृष्टि से कहीं अधिक है. दूसरा, यह हिंदुस्तान की “रणनीतिक स्वायत्तता” और वैश्विक स्वीकार्यता का रिज़ल्ट है कि अब महाशक्तियां नयी दिल्ली को दक्षिण एशिया का निर्णायक चेहरा मानती हैं. तीसरा, पाक की लगातार अस्थिर राजनीति और आर्थिक बदहाली ने उसकी अंतर्राष्ट्रीय साख को कमजोर किया है. तिआनजिन ने यह साफ कर दिया है कि अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर पाक का असर सिकुड़ रहा है. जहां हिंदुस्तान को संवाद, निवेश और योगदान का केंद्र बताया जा रहा है, वहीं पाक धीरे-धीरे हाशिये की ओर धकेला जा रहा है. इसलिए यह बोलना उचित होगा कि तिआनजिन शिखर सम्मेलन सिर्फ़ बहुपक्षीय विमर्श का मंच नहीं था, बल्कि इसने दक्षिण एशिया की नयी कूटनीतिक वास्तविकता को भी उजागर किया है. यह एक ऐसा परिदृश्य है जिसमें हिंदुस्तान उभरता केंद्र है और पाक हाशिये पर खड़ा, उपेक्षा का शिकार राष्ट्र है.
जहां तक पीएम मोदी की द्विपक्षीय मुलाकातों की बात है तो आपको बता दें कि नेपाल के पीएम के.पी. ओली से भेंट के दौरान मोदी ने भारत-नेपाल के गहरे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रिश्तों को रेखांकित किया. यह मुलाक़ात सिर्फ़ कूटनीतिक औपचारिकता नहीं थी, बल्कि इसने पड़ोसी राष्ट्रों के साथ “Neighbourhood First” नीति की पुनः पुष्टि की.
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुईज़्ज़ू से वार्ता में मोदी ने विकासात्मक योगदान पर बल दिया. हिंद महासागर क्षेत्र में मालदीव का महत्व सिर्फ़ सामरिक दृष्टि से नहीं, बल्कि हिंदुस्तान की सुरक्षा और समुद्री कनेक्टिविटी की दृष्टि से भी काफी महत्व रखता है.
मिस्र के पीएम मुस्तफा मदबौली से हुई मुलाक़ात ने यह दिखाया कि हिंदुस्तान पश्चिम एशिया और अफ्रीका को भी अपनी विदेश नीति का अभिन्न हिस्सा मानता है. देखा जाये तो भारत-मिस्र योगदान ऊर्जा, निवेश और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के नए अवसर खोल रहा है.
वहीं बेलारूस के राष्ट्रपति लुकाशेंको और ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति रहमोन से हुई चर्चाओं में आर्थिक और सांस्कृतिक योगदान पर बल दिया गया. इसी तरह कज़ाख़िस्तान के राष्ट्रपति से ऊर्जा, स्वास्थ्य और सुरक्षा योगदान पर वार्ता हिंदुस्तान की मध्य एशिया नीति को मजबूती देती है.
सबसे जरूरी भेंट म्यांमार के सुरक्षा एवं शांति आयोग के अध्यक्ष वरिष्ठ जनरल मिन आंग हलैंग से हुई. पीएम मोदी ने पड़ोसी राष्ट्र के साथ रक्षा, सीमा प्रबंधन और व्यापारिक योगदान पर चर्चा करते हुए “Act East Policy” के भीतर कनेक्टिविटी परियोजनाओं को गति देने की जरूरत पर बल दिया. हिंदुस्तान का यह साफ संदेश रहा कि म्यांमार की स्थिरता और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में प्रगति पूरे क्षेत्रीय शांति और योगदान के लिए जरूरी है.
मोदी की एक्टिव द्विपक्षीय मुलाक़ातें इस तथ्य को पुष्ट करती हैं कि हिंदुस्तान अब सिर्फ़ एक क्षेत्रीय शक्ति नहीं, बल्कि वैश्विक संतुलनकारी शक्ति है. इसके अलावा, नेपाल, म्यांमार और मालदीव से मुलाक़ातें यह बताती हैं कि हिंदुस्तान अपने आसपास के क्षेत्र को स्थिर और समृद्ध देखना चाहता है. साथ ही मिस्र, बेलारूस और ताजिकिस्तान जैसे राष्ट्रों से संवाद यह दर्शाता है कि हिंदुस्तान वैश्विक दक्षिण की साझा आकांक्षाओं का प्रतिनिधि बनकर उभर रहा है. वहीं चीन और रूस की उपस्थिति में हिंदुस्तान का संतुलित रुख अमेरिका सहित अन्य पश्चिमी राष्ट्रों को यह संकेत देता है कि हिंदुस्तान अपने हितों के आधार पर स्वतंत्र विदेश नीति अपनाएगा.
बहरहाल, तिआनजिन में पीएम मोदी की द्विपक्षीय सक्रियता सिर्फ़ औपचारिक कूटनीति नहीं, बल्कि 21वीं सदी में हिंदुस्तान की उभरती किरदार का साफ दर्पण है. पड़ोस से लेकर वैश्विक दक्षिण तक और पूर्वी एशिया से लेकर मध्य एशिया तक, हिंदुस्तान की विदेश नीति बहुस्तरीय और समग्र बन चुकी है. इस कूटनीतिक व्यस्तता से यह संदेश गया है कि हिंदुस्तान अब सिर्फ़ एक सहभागी नहीं, बल्कि वैश्विक एजेंडा निर्माता के रूप में अपनी पहचान बना रहा है.