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ट्रंप की सारी ताकत एक तरफ और ये महाशक्ति एक तरफ, पुतिन जेलेंस्की से नहीं करेंगे मुलाकात…

by admin477351

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की के बीच मुलाकात कराने की प्रयास के लिए खूब मेहनत की, ट्रंप पहले पुतिन से मिले फिर जेलेंस्की को अमेरिका बुलाया। यूरोपियन लीडर से भी बात की। फिर पुतिन और जेलेंस्की की मुलाकात की भी बात कहने लगे। लेकिन यह सब इतना आसान नहीं है। WION में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की के बीच मुलाकात की आसार कम ही नजर आ रही है। इसके पीछे कई कारण हैं, सबसे पहले जानते हैं ट्रंप का घोषणा और उनकी कोशिशें।

ट्रंप का घोषणा और कोशिशें
हाल ही में ट्रंप ने यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से मुलाकात की और इसके बाद रूस के राष्ट्रपति पुतिन से टेलीफोन पर बात की। ट्रंप ने अपनी सोशल मीडिया साइट ‘ट्रुथ सोशल’ पर लिखा, “मैंने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से व्हाइट हाउस में मुलाकात की। हमने यूक्रेन के लिए सुरक्षा गारंटी पर चर्चा की, जो यूरोपीय राष्ट्रों और अमेरिका के योगदान से दी जाएगी। सभी लोग रूस-यूक्रेन के बीच शांति की आसार से खुश हैं।”

ट्रंप ने आगे कहा, “मुलाकात के बाद मैंने राष्ट्रपति पुतिन को टेलीफोन किया और पुतिन-ज़ेलेंस्की के बीच एक मुलाकात की प्रबंध प्रारम्भ की। यह मुलाकात कहां होगी, यह अभी तय नहीं है। इसके बाद हम तीनों मैं, पुतिन और ज़ेलेंस्की एक त्रिपक्षीय बैठक करेंगे। ट्रंप का भले दावा है कि वह युद्ध समाप्त करना चाहते हैं, और इसके लिए वह दोनों नेताओं को एक मेज पर लाने की प्रयास कर रहे हैं। लेकिन हकीकत में यह इतना आसान नहीं है।

पुतिन-जेलेंस्की मुलाकात क्यों मुश्किल?
ट्रंप की कोशिशों के बावजूद, जानकारों का मानना है कि पुतिन और ज़ेलेंस्की की मुलाकात शीघ्र होने की आसार कम है। इसके पीछे कई कारण हैं। पहला, रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध अभी भी तनावपूर्ण है। दोनों राष्ट्रों के बीच विश्वास की भारी कमी है। पुतिन ने पहले बोला था कि वह ज़ेलेंस्की से मॉस्को में मुलाकात करने को तैयार हैं, लेकिन ज़ेलेंस्की ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। यूक्रेन का बोलना है कि वह तटस्थ स्थान पर ही वार्ता चाहता है। दूसरा, पुतिन की रणनीति और उनके बयानों से लगता है कि वह अभी किसी समझौते के मूड में नहीं हैं। रूस ने यूक्रेन के कई इलाकों पर कब्जा कर रखा है, और पुतिन शायद अपनी स्थिति को और मजबूत करना चाहते हैं। तीसरा, अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर दोनों नेताओं के बीच तीखी बयानबाजी होती रही है, जिससे मुलाकात की आसार और कम हो जाती है।

क्या कहता है इतिहास?
पुतिन और ज़ेलेंस्की पहले भी कई बार अप्रत्यक्ष रूप से वार्ता के लिए सामने आए हैं, लेकिन हर बार कोई न कोई अड़चन आ गई। 2019 में पेरिस में हुई नॉर्मंडी फॉर्मेट की बैठक में दोनों नेता मिले थे, लेकिन तब से हालात और बिगड़ गए हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध ने दोनों राष्ट्रों के बीच की खाई को और गहरा कर दिया है। ये सच है कि ट्रंप की मध्यस्थता से शायद कुछ आशा जगी है, लेकिन पुतिन और ज़ेलेंस्की के बीच मुलाकात अभी दूर की कौड़ी लगती है। दोनों नेताओं के अपने-अपने भलाई और शर्तें हैं, जो इस मुलाकात को कठिन बना रही हैं। यदि मुलाकात होती भी है, तो इसके लिए तटस्थ जगह और साफ शर्तों की आवश्यकता होगी। असल में क्या होगा यह समय बताएगा।

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