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जीएसटी सुधारों से केंद्र की जीडीपी पर पड़ा न्यूनतम असर, बर्नस्टीन के मुताबिक केवल 0.05% हुआ नुकसान

by admin477351

ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म बर्नस्टीन की गुरुवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, गवर्नमेंट द्वारा घोषित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) दरों में व्यापक बदलावों का सार्वजनिक वित्त पर हल्की असर पड़ सकता है, क्योंकि केंद्र पर सिर्फ़ 18,000 करोड़ रुपए का राजकोषीय बोझ पड़ने का अनुमान है.

रिपोर्ट में बोला गया है कि यह वित्त साल 26 के लिए हिंदुस्तान के अनुमानित जीडीपी का सिर्फ़ 0.05 फीसदी है. 3 सितंबर को, गवर्नमेंट ने प्रमुख GST सुधारों की घोषणा की, जिसमें कर स्लैब की संख्या कम की गई और कई वस्तुओं पर दरें कम की गईं.

दैनिक इस्तेमाल की एफएमसीजी वस्तुओं से लेकर कारों, घरेलू वस्तुओं और बीमा तक, अधिकतर उत्पाद 22 सितंबर से सस्ते होने वाले हैं.

विश्लेषकों का मानना ​​है कि इन तरीकों से मांग बढ़ेगी, कर अनुपालन में सुधार होगा और उपभोग-आधारित विकास को मजबूती मिलेगी.

बर्नस्टीन के लेटेस्ट इण्डिया स्ट्रेटजी नोट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि इन सुधारों से राजस्व में अल्पकालिक कमी आएगी, लेकिन अर्थव्यवस्था पर समग्र असर सीमित रहेगा.

ब्रोकरेज का अनुमान है कि 12 फीसदी स्लैब को 5 फीसदी तक तर्कसंगत बनाने से 79,600 करोड़ रुपए का राजस्व हानि होगा और 28 फीसदी स्लैब को खत्म करने से 1.12 लाख करोड़ रुपए का अतिरिक्त हानि होगा.

12 से 18 फीसदी स्लैब में परिवर्तन से 700 करोड़ रुपए और कुछ वस्तुओं को 28 से 40 फीसदी तक स्थानांतरित करने से 15,000 करोड़ रुपए के फायदा से इन नुकसानों की आंशिक भरपाई हो पाएगी.

इन बदलावों को ध्यान में रखते हुए, केंद्र और राज्यों को संयुक्त रूप से लगभग 1.57 लाख करोड़ रुपए का राजस्व घाटा होने का अनुमान है.

केंद्र का हिस्सा लगभग 74,000 करोड़ रुपए है. बर्नस्टीन ने राजस्व की कमी को संतुलित करने के लिए पूंजीगत व्यय में 5 फीसदी की कटौती का भी संभावना व्यक्त किया है, जो 56,000 करोड़ रुपए है.

परिणामस्वरूप, केंद्र पर असली राजकोषीय बोझ घटकर 18,000 करोड़ रुपए रह गया है.

इस बीच, एचएसबीसी ने एक दूसरी रिपोर्ट में बोला कि वित्त साल 24 के उपभोग आधार के आधार पर कर कटौती से सकल राजस्व नुकसान लगभग 10.8 अरब $ हो सकती है.

क्षतिपूर्ति उपकर से नए 40 फीसदी GST स्लैब में पुनर्निर्देशित राजस्व इस नुकसान के लगभग 5.2 अरब $ की भरपाई कर सकता है, जिससे 5.6 अरब $ या सकल घरेलू उत्पाद का 0.16 फीसदी की शुद्ध कमी रह जाएगी.

वित्त साल 26 के आधार पर इसे जोड़ते हुए, एचएसबीसी का अनुमान है कि राजस्व नुकसान 570 अरब रुपए होगी, जो एक साल में सकल घरेलू उत्पाद के सिर्फ़ 0.16 फीसदी के बराबर होगी.

यह देखते हुए कि वित्त साल का सिर्फ़ आधा समय बचा है, वित्त साल 26 के लिए राजकोषीय असर सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 0.1 फीसदी होगा.

दोनों रिपोर्टों से पता चलता है कि GST सुधारों से गवर्नमेंट को कुछ राजस्व नुकसान होगी, लेकिन उच्च उपभोग और मजबूत अनुपालन के दीर्घकालिक फायदा अल्पकालिक राजकोषीय हानि से अधिक होंगे.

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