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भारतीयों की आत्मा को झझकोर रही है टैरिफ पॉलिसी, क्या अब विदेशी सामान को होगा बहिष्कार…

by admin477351

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय चीजों पर लगाए गए 25% टैरिफ ने हिंदुस्तान के व्यवसायी हलकों में हलचल मचा दी है। इस नीति के कारण कई उद्योगों और रोजगारों पर खतरा मंडराने लगा है। लेकिन इस बार हिंदुस्तान केवल वार्ता की राह नहीं अपना रहा, बल्कि आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से कदम बढ़ा रहा है। पीएम मोदी ने इस चुनौती को ‘स्वदेशी’ की नयी आग में बदलने का संकेत दिया है। क्या यह अमेरिका की आक्रामक व्यापार नीति के विरुद्ध हिंदुस्तान का बड़ा उत्तर बन सकता है?

ट्रंप के इस कदम के बाद अमेरिका और हिंदुस्तान के बीच व्यापार वार्ता फिर प्रारम्भ तो हुई है, लेकिन अमेरिका के टॉप व्यापार प्रतिनिधियों ने साफ कर दिया है कि टैरिफ फिलहाल वापस नहीं लिए जाएंगे। अमेरिका की चिंता हिंदुस्तान के BRICS जैसे मंचों में सक्रियता और रूस से ऑयल खरीद जैसे मुद्दों को लेकर भी है। वहीं हिंदुस्तान ने भी दो टूक कह दिया है कि कृषि और डेयरी जैसे सेंसिटिव सेक्टर्स में अमेरिका को बाजार में प्रवेश नहीं मिलेगा।

हाल ही में पीएम मोदी ने वाराणसी की एक सभा में बोला था कि अब जो भी हम खरीदें, उसका एक ही पैमाना होना चाहिए- वह हिंदुस्तान में बना हो, किसी भारतीय के पसीने से बना हो। यह बयान केवल एक भाषण नहीं, बल्कि एक साफ संदेश है कि अब हिंदुस्तान अपनी घरेलू प्रोडक्शन सिस्टम को प्रायोरिटी देने जा रहा है।

‘ब्रांड इंडिया’ की दिशा में बड़ा कदम
सरकार अब एक्सपोर्ट्स से कह रही है कि वे घरेलू ब्रांड को बढ़ावा दें और विदेशी बाजारों में ‘इंडियन प्रोडक्ट्स’ को नयी पहचान दिलाएं। वाणिज्य मंत्रालय ने एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल और इण्डिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन के साथ मिलकर ब्रांड प्रमोशन की स्ट्रैटेजी बनाने के निर्देश दिए हैं। इसके अतिरिक्त मरीन फूड, कपड़ा, रसायन, इंजीनियरिंग और कृषि सेक्टर के लिए विशेष सपोर्ट प्लान तैयार की जा रही हैं। गवर्नमेंट ने कंपनियों से सुझाव मांगे हैं कि क्या ‘इंक्रिमेंटल हायरिंग’ यानी एक्स्ट्रा रोजगार देने पर कोई प्रोत्साहन योजना प्रारम्भ की जा सकती है। खासकर झींगा उद्योग पर अमेरिका की तुलना में इक्वाडोर को कम टैरिफ मिलने से भारतीय एक्सपोर्ट्स में चिंता है।

MSME को राहत देने की तैयारी
वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने संकेत दिए हैं कि गवर्नमेंट सब्सिडी नहीं देगी, लेकिन “इनोवेशन तरीकों” से कंपनियों की सहायता की जाएगी। उन्होंने बैंकों से बोला है कि वे छोटे कंपनियों के लिए क्रेडिट रेटिंग और रिस्क मॉडल को सरल बनाएं ताकि उन्हें सस्ती दरों पर लोन मिल सके। इसके अतिरिक्त एमएसएमई के लिए टेस्टिंग और सर्टिफिकेशन चार्ज घटाने पर भी विचार किया जा रहा है।

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