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भारत में अब टिक नहीं पाएगी ऑनलाइन गैंबलिंग, नहीं चला सकेगा ऑनलाइन सट्टेबाजी का खेल

by admin477351

देश में अब औनलाइन गैंबलिंग और रियल औनलाइन मनी गेम्स का गेमओवर हो गया है. संसद ने गुरुवार को “ऑनलाइन गेमिंग प्रोत्साहन और विनियमन विधेयक-2025’ को मूंजरी दे दी. अब राष्ट्रपति के स्वीकृति के साथ ही औनलाइन गैंबलिंग और गेमिंग पर नया कानून अस्तित्व में आ जाएगा. नए कानून में खास बात यह है कि यह हिंदुस्तान ही नहीं विदेशों से संचालित मनी गेमिंग पर भी प्रतिबंध लगाता है. नए कानून में औनलाइन ‘मनी गेमिंग’ या उसके विज्ञापनों पर भी प्रतिबंध लगाने के प्रावधान हैं. नए कानून में सभी तरह की औनलाइन सट्टेबाजी और जुआ संबंधी गतिविधियों को प्रतिबंधित करता है.

सरकार ने जताई चिंता- संसद में औनलाइन गेमिंग प्रोत्साहन और विनियमन विधेयक-2025 पास होने पर इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बोला कि समाज में एक बहुत बड़ी बुराई आ रही है जिससे बचने के लिए नए कानून को लाया जा रहा है. संसद में विधेयक पर बोलते हुए अश्विनी वैष्णव ने बोला कि ‘ऑनलाइन मनी गेम’ आज समाज में बड़ी चिंता का विषय बन गया है और कई ऐसे आदमी हैं जिन्हें इसकी लत लग जाती है तथा वह जिदंगी भर की बचत (ऑनलाइन) गेम में उड़ा देते हैं. आनलाइन गेमिंग के कारण कई परिवार बर्बाद हो गए और कई आत्महत्याएं हुई हैं.

ऑनलाइन गैंबलिंग कितना खतरनाक?-दरअसल नए कानून लाने के पीछे गवर्नमेंट का उद्देश्य औनलाइन गेमिंग की आड़ में जुएं और सट्टेबाजी को प्रतिबंध लगाना है. हिंदुस्तान में औनलाइन गेमिंग का बाजार 32 हजार करोड़ का है. एक अनुमान के अनुसार राष्ट्र में 50 करोड़ से अधिक लोग विभिन्न प्लेटफॉर्म पर औनलाइन गेम्स खेलते है. राष्ट्र में बहुत बड़ी संख्या में औनलाइन गैंबलिंग की लत के कारण लोग कर्जदार होने के कारण खुदकुशी जैसे कदम भी उठाए.

ऑनलाइन गेम्स की चपेट में सबसे अधिक युवा है. एक शोध के अनुसार में हिंदुस्तान में 20 साल से कम उम्र के 40 प्रतिशत युवा औनलाइन गेमिंग की लत के शिकार है. वहीं औनलाइन गेम्स की लत के कारण बच्चे भी आत्मघाती कदम उठा रहे है. पिछले दिनों इंदौर में एक 13 वर्ष के मासूम ने 3300 रुपए हारने के कारण सुसाइड कर लिया. औनलाइन गेमिंग के चलते बड़ी संख्या में लोग साइबर फ्रॉड के शिकार भी हुए है. आज औनलाइन गैंबलिंग के एप्स को डाउनलोड करना और उसका इस्तेमाल करना बहुत आसान है तब युवा इस ओर तेजी से आकर्षित हो रहे है.

वरिष्ठ मनोचिकित्सक डाक्टर सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि कि औनलाइन गैंबलिंग एक ऐसा जाल है जिसके कुचक्र में फंसने के बाद आदमी को बाहर आने में काफी कठिन होती है. वह कहते हैं औनलाइन गैंबलिंग का जिस तरह से प्रचार-प्रसार किया जाता है उससे युवा प्रभावित होते है और उनमें एक आर्कषण पैदा होता है. छोटे पेंमेट गेटवे होने से युवा इससे सरलता से जुड़ जाते है और फिर वह इसकी लत में फंस जाते है. औनलाइन गेटवे होने से युवा तेजी से एडिक्ट हो रहे है.

वह कहते हैं कि शोध बताते हैं कि सट्टेबाजी की लत अवसाद, चिंता और वित्तीय संकट जैसी समस्याएं पैदा करती है. औनलाइन गेमिंग और सट्टेबाजी के बढ़ते चलन से खासकर युवाओं में मानसिक तनाव और असुरक्षा बढ़ रही है, जिससे उनके भविष्य पर भी असर पड़ता है और वह खुदकुशी जैसे खतरनाक कदम उठा रहे है.

ऑनलाइन गैंबलिंग का गेम ओवर-ऑनलाइन गैंबलिंग के बढ़ते दुष्प्रभाव को देखते हुए अब केंद्र गवर्नमेंट ने औनलाइन गेमिंग में सट्टेबाजी और दांव लगाने से संबंधित किसी भी गेम को प्रतिबंधित लगाते हुए इस पर कड़ा कानून बनाया है. नए कानून में औनलाइन मनी गेमिंग की पेशकश या सुविधा प्रदान करने पर तीन साल तक की कैद और एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान है. मनी गेम का विज्ञापन करने पर 2 वर्ष तक की कैद और 50 लाख रुपए तक का जुर्माना लग सकता है. मनी गेम से संबंधित वित्तीय लेनदेन को बढ़ावा देने पर तीन वर्ष तक की कैद और एक करोड़ रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. बार-बार क्राइम करने पर 3 से 5 वर्ष तक की कैद और 2 करोड़ रुपए तक के जुर्माने सहित बढ़ी हुई सज़ा दी जा सकती है.

वरिष्ठ मनोचिकित्सक चिकित्सक सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि औनलाइन गैंबलिंग को गेमिंग के नाम पर फैलने से रोकने का ठोस कदम उठाते हुए केंद्र गवर्नमेंट जो नया कानून ला रही है वह वह एक स्वागतयोग्य कदम है. लाया. मुझे लगता है कि यह केवल आर्थिक नहीं, बल्कि सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा की दिशा में भी एक ऐतिहासिक फैसला है.

वहीं नए कानून में जिस तरह से औनलाइन गेमिंग और औनलाइन गैंबलिंग को बढ़ावा देने के वाले विज्ञापनों पर रोक लगाई गई है. डाक्टर सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि वह स्वयं पिछले लंबे समय से औनलाइन गैंबलिंग से जुड़े प्लेटफॉर्म का प्रचार करने वाले विज्ञापनों से दूरी बनाने की अपील कर रहे है. हिंदुस्तान में क्रिकेटर्स केवल खेल के नायक नहीं हैं, वे समाज के आदर्श भी हैं. उनकी लोकप्रियता हर उम्र और वर्ग के लोगों में होती है, और उनके द्वारा किए गए विज्ञापनों का गहरा असर पड़ता है. जब ये नायक औनलाइन सट्टेबाजी से जुड़े प्लेटफॉर्म का प्रचार करते हैं, तो युवाओं पर इसका विशेष रूप से नकारात्मक असर होता है. वह कहते हैं कि वह क्रिकेटर्स और सेलेब्रिटीज़ से एक बार फिर अपील करते है कि वे अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए ऐसे प्लेटफॉर्म्स को कभी बढ़ावा न दें.

इसके साथ ही वह कहते है कि सट्टेबाजी को स्किल गेमिंग का नाम दिलाने जैसे मैनिपुलेशन को मान्यता न दिया जाना चाहिए. कानून जानकारों से भी मेरा निवेदन है कि के वे भी सट्टेबाजी को शब्दों या तकनीकी हेरा फेरी से इसे मान्यता दिलवाने की हसरतों में फर्म्स का असहयोग करें. वहीं वह लोगों से अपील करते हैं कि वास्तविक गेमिंग मैदान में है, स्क्रीन पर जुए में नहीं. खेल हमें मज़बूत बनाता है, जबकि गैंबलिंग हमारे समाज को खोखला कर देती है. आइए, हम सब मिलकर युवाओं का भविष्य सुरक्षित करें.

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