Nishikant Dubey on sindhu water treaty decision : गोंडा से बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने सिंधु जल संधि पर रोक के मोदी गवर्नमेंट के निर्णय की जमकर सराहना की. उन्होंने बोला कि मोदी जी ने दाना पानी बंद कर दिया. बिना पानी के पाकिस्तानी मरेंगे, यह है 56 इंच का सीना.
निशिकांत दुबे ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर अपनी पोस्ट में कहा, सांप को पानी पिलाने वाले समझौते के नायक नेहरु जी जिन्होंने 1960 में नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने के चक्कर में सिंधु, रावी, व्यास, चिनाब, सतलुज का हमारा पानी पिलाकर हिंदुस्तानी का ख़ून बहाया, आज मोदी जी दाना पानी बंद कर दिया. बिना पानी के पाकिस्तानी मरेंगे, यह है 56 इंच का सीना. हुक्का, पानी, दाना पानी बंद, हम सनातनी बीजेपी के कार्यकर्ता हैं, तड़पा तड़पा के मारेंगे.
क्या है सिंधु जल संधि : वर्ष 1960 के सितम्बर महीने में हिंदुस्तान के तत्कालीन पीएम स्व पंडित जवाहर लाल नेहरू और पाक के सैनिक शासक फील्ड मार्शल अयूब खान के बीच यह जल संधि हुई थी. विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुई इस संधि में रेखांकित किया गया था कि कैसे हिंदुस्तान और पाकिस्तान, दोनों सिंधु नदी के पानी का इस्तेमाल करेंगे. इस जलसंधि के मुताबिक, हिंदुस्तान को जम्मू कश्मीर में बहने वाली सिंध, झेलम और चिनाब के पानी को रोकने का अधिकार नहीं है.
संधि में लिंक नहरों, बैराजों और ट्यूबवेलों के लिए धन जुटाने और निर्माण के लिए भी प्रावधान शामिल किए थे. खास तौर से सिंधु नदी पर तारबेला बांध और झेलम नदी पर मंगला बांध पर. इनसे पाक को उतनी ही मात्रा में पानी लेने में सहायता मिली जो उसे पहले उन नदियों से मिलती थी जो संधि के बाद हिंदुस्तान के हिस्से में आ गई थीं. ALSO क्या है सिंधु जल समझौता, जिसे हिंदुस्तान ने रद्द कर पाक को दिया बड़ा झटका
क्यों हुआ था सिंधु नदी समझौता : यह नौबत इसलिए आई क्योंकि 1947 के भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद दोनों राष्ट्रों के बीच पानी पर टकराव हो गया था. 1 अप्रैल 1948 से हिंदुस्तान ने, अपने क्षेत्र से होकर पाक जाने वाली नदियों का पानी रोकना प्रारम्भ कर दिया. तब 4 मई 1948 को टकराव निपटाने के लिए एक इंटर-डोमिनियन समझौता हुआ जिसके अनुसार हिंदुस्तान को सालाना भुगतान के बदले में बेसिन के पाकिस्तानी हिस्सों को पानी मौजूद कराना था. हालांकि यह रास्ता स्थाई नहीं था, बस एक ऐसा तरीका था जहां से टकराव निपटाने का काम प्रारम्भ होकर और आगे जाना था.
फिर आखिरकार 1951 में टेनेसी वैली अथॉरिटी और अमेरिकी परमाणु ऊर्जा आयोग दोनों के पूर्व प्रमुख डेविड लिलिएनथल ने अपने लेखन के लिए इस क्षेत्र का दौरा किया. तब उन्होंने सुझाव दिया कि हिंदुस्तान और पाक को नदियों पर एक तंत्र का साथ में विकास और फिर उसका प्रबंधन देखना चाहिए. उन्होंने इसके लिए एक समझौते का सुझाव दिया.
1954 में वर्ल्ड बैंक ने दोनों राष्ट्रों को एक प्रस्तावित समझौता थमाया. इस पर छह वर्ष तक कई दौर की वार्ता के बाद हिंदुस्तान के पीएम जवाहरलाल नेहरू और पाक के राष्ट्रपति मोहम्मद अय्यूब खान ने 1960 में इस समझौते पर हस्ताक्षर किए. इसके साथ ही सिंधु नदी जल संधि असर में आई.
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा, ‘अशहदु अल्लाह इल्लाह इल्लल्लाहु वह दहु ला शरी-क लहू और अशदुहु अन्न मुहम्मदन अब्दुहु और रसूलुहु’ आजकल कलमा सीख रहा हूं, पता नहीं कब जरुरत पड़े.