राजस्थान गवर्नमेंट द्वारा कक्षा 12वीं की इतिहास पुस्तक “आजादी के बाद का स्वर्णिम भारत” के पाठ्यक्रम से हटाने के फैसला पर राजनीति गरमा गई है. इस निर्णय पर पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने तीखी प्रतिक्रिया दी है और भाजपा गवर्नमेंट पर सच्चाई से मुंह मोड़ने का आरोप लगाया है.
गहलोत ने गवर्नमेंट के इस फैसला को “हास्यास्पद” और “राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित” बताया. उन्होंने बोला कि यह पुस्तक राष्ट्र के स्वतंत्रता के बाद के विकास को दर्शाती है, जिसमें कांग्रेस पार्टी की किरदार ऐतिहासिक रही है और उसे नकारा नहीं जा सकता.
गहलोत ने क्या कहा?
उन्होंने इल्जाम लगाया कि भाजपा इतिहास को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत करना चाहती है और ऐसे निर्णयों के जरिए युवाओं को गलत जानकारी देने का कोशिश कर रही है.
क्या है मामला?
राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा प्रकाशित 12वीं की पुस्तक “आजादी के बाद का स्वर्णिम भारत” में कांग्रेस पार्टी के प्रधानमंत्रियों और योजनाओं का विस्तार से उल्लेख किया गया है, जबकि पीएम मोदी का सहयोग नगण्य रूप से दिखाया गया है. इसी को लेकर टकराव खड़ा हुआ और राज्य गवर्नमेंट ने इस पुस्तक के अध्यापन पर रोक लगा दी.
शिक्षा विभाग ने सीनियर असिस्टेंट डायरेक्टर दिनेश कुमार ओझा को एपीओ करते हुए बीकानेर स्थानांतरण भी कर दिया, जिससे यह मुद्दा और भी गरमा गया है.
बीजेपी की सफाई
इस मुद्दे में बीजेपी नेताओं ने पलटवार करते हुए बोला है कि यह पुस्तक एकतरफा महिमामंडन करती है और विद्यार्थियों को तथ्यों की बजाय सियासी दृष्टिकोण से इतिहास पढ़ाने का कोशिश है. बीजेपी का दावा है कि गवर्नमेंट ने संतुलित शिक्षा देने के लिए यह कदम उठाया है.
राजनीतिक हलचल तेज
गहलोत की टिप्पणी के बाद इस मामले पर कांग्रेस पार्टी और बीजेपी के बीच बयानबाज़ी तेज हो गई है. कांग्रेस पार्टी इसे लोकतंत्र और इतिहास के साथ खिलवाड़ बता रही है, वहीं बीजेपी इसे शिक्षा का अपद्रवीकरण रोकने की पहल बता रही है.