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भारत को रूसी तेल से दूर कर अमेरिका क्यों खेल रहा है माइंड गेम, ये हैं उद्देश्य…

by admin477351

US On India Buying Russian Crude Oil: अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हिंदुस्तान पर लगातार रूस से कच्चे ऑयल के आयात को बंद करने का दवाब बना रहे हैं। उन्होंने हिंदुस्तान पर 50 प्रतिशत का टैरिफ भी इसी दवाब को बढ़ाने के लिए लगाया है। टैरिफ लगाने के बाद भी ट्रंप नहीं रुक रहे हैं और हिंदुस्तान को रोकने के लिए हर हथकंडा अपनाने से बाज नहीं आ रहे हैं। हालात ये तक बन गए हैं कि ट्रंप अब सार्वजनिक तौर पर हिंदुस्तान के रूसी ऑयल खरीद पर असत्य बोल रहे हैं। कभी वो हिंदुस्तान को रूस-यूक्रेन युद्ध का विलेन बता दे रहे हैं तो कभी टैक्स बढ़ा रहे हैं।इन सबके बीच एक प्रश्न मन में लगातार उठ रहा है कि आखिर ट्रंप को परेशानी क्या है ? हिंदुस्तान किसी से भी ऑयल खरीदे, ट्रंप को बेचैनी क्यों हो रही है? ट्रंप क्यों भारत, चीन के ऑयल खरीद को अपने हिसाब से कंट्रोल करना चाहते हैं ? इन तमाम प्रश्नों के उत्तर है पैसा, मुनाफा, कमाई और कारोबार।

रूसी ऑयल पर ट्रंप की बेरुखी की वास्तविक वजह

डोनाल्ड ट्रंप अमेरिकी राष्ट्रपति से अधिक एक बिजनेसमैन के तौर पर काम कर रहे हैं। वो बिजनेसमैन जो येन केन प्रकारेण अपनी डील को फाइनल करवाना चाहता है। बात से बात ना बने तो दवाब बढ़ाओ की नीति मानने वाले ट्रंप रूस से ऑयल खरीद पर हिंदुस्तान और चीन पर दवाब बना रहे हैं। इस ऑयल की वजह से उन्होंने हिंदुस्तान पर 25 प्रतिशत का अधिक टैक्स ठोक दिया। हालांकि हिंदुस्तान पर ट्रंप की ये प्रेशर टैक्टिस काम नहीं कर पाई और उसने रूस से साथ ऑयल की खरीद को जारी रखा।आंकड़ों को देखें तो हिंदुस्तान ने सितंबर में 45 लाख बैरल प्रति दिन से अधिक कच्चा ऑयल आयात किया है, जिसमें रूसी ऑयल की हिस्सेदारी 16 लाख बीपीडी रही। क्लीन एयर रिसर्च सेंटर के आंकड़ों के अनुसार सितंबर में चीन के बाद, हिंदुस्तान रूसी जीवाश्म ईंधन का सबसे बड़ा खरीदार रहा है। सितंबर में हिंदुस्तान ने रूस से कुल 2.5 अरब यूरो का कच्चा ऑयल खरीदा। अब प्रश्न यह कि आखिर ट्रंप रूसी ऑयल के पीछे क्यों पड़े हैं ?

रूसी ऑयल से बेरुखी की वास्तविक वजह ?

डोनाल्ड ट्रंप भले ही ये दावा कर रहे हो कि चीन और हिंदुस्तान रूस से ऑयल खरीदकर रूस-यूक्रेन युद्ध को बढ़ावा दे रहे हो, लेकिन असलियत तो कुछ और ही है। दरअसल ट्रंप की चाहत है कि रूस से दूरी बनाकर हिंदुस्तान अमेरिका के साथ कारोबार बनाए। ट्रंप चाहते हैं कि हिंदुस्तान रूस से बजाए उनसे ऑयल और गैस की खरीद को बढाए। यदि आंकड़ों को देखें तो हिंदुस्तान पहले अमेरिका से करीब 25 अरब $ का ऑयल और गैस खरीद रहा था लेकिन अब उसके साथ खरीद घटकर 12-13 अरब $ रह गई है। सितंबर में हिंदुस्तान से अमेरिका को एक्सपोर्ट में 12% की गिरावट आई है। हिंदुस्तान और अमेरिका के बीच ऑयल का निर्यात घटने की चिंता सता रही है। अमेरिका के साथ करीब 12-15 अरब $ की ऑयल और एनर्जी खरीद की गुंजाइश है, जिसपर ट्रंप बल लगा रहे हैं। वो चाहते हैं कि हिंदुस्तान रूस के बजाए उनसे ऑयल की खरीद को महत्व दें।

भारत बढ़ा सकता है अमेरिका से ऑयल खरीद

कॉमर्स सेक्रेटरी राजेश अग्रवाल ने भी बोला कि हम अमेरिका से करीब 12-15 अरब $ की एनर्जी खरीद बढ़ा सकते हैं। हिंदुस्तान अपने आयात पोर्टफोलियो में विविधता लाना चाहता है। अपनी रिफाइनरियों की बनावट की चिंता किए बिना अमेरिका से ऑयल खरीद सकते हैं, लेकिन शर्ते है कि अमेरिका कीमतों को ठीक रखे। ट्रंप इसी प्रयास में है कि किसी तरह दवाब बनाकर वो रूस के बजाए हिंदुस्तान के कारोबार को अपनी तरफ मोड़ सके।

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